प्रिय पाठको आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे की Shitala Mata (शीतला माता) की पूजा क्यों की जाती है | ये माता कौन है इस पूजा का क्या महत्त्व है क्यों मनाई जाती है शीतला सप्तमी ये सपूर्ण जानकरी आज हम Shitala Mata step by step विस्तार से अध्ययन करेंगे |

शीतला माता : Shitala Mata
Shitala Mata का दिन हिंदू धर्म में एक विशेष प्रकार का महत्व रखने वाला व्रत एवं त्यौहार है। यह त्यौहार शीतला माता को समर्पित होता है, इस माता शीतला को रोग-निवारण और स्वास्थ्य की देवी के रूप माना जाता है। इस दिन व्रती लोग शीतला माता से अपने घर परिवार के स्वास्थ्य, सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। उस दिन व्रत खासतौर पर महिलाओं द्वारा रखा जाता है और इसमें शीतला माता की पूजा हिन्दू धर्म में विशेष रूप से की जाती है।
Shitala Saptami Kyo Manayi Jati Hai : शीतला शाप्तामी क्यों मनाई जाती है ?
शीतला माता (Shitala Mata), को हिन्दू धर्म में “ठंडक की देवी” के रूप में भी जाना जाता है, यह हिंदू धर्म में ठंडक की एक प्रमुख देवी हैं। इस देवी की पूजा हिन्दू धर्म में विशेष रूप से बीमारियों, चेचक, माता और गर्मी से संबंधित रोगों से बचाव और उपचार के लिए की जाती है। शीतला सप्तमी का त्योहार उनकी पूजा का एक महत्वपूर्ण अवसर है। आइए जानते हैं शीतला माता की पूजा से जुड़ी तिथि, पूजा विधि, व्रत का महत्व और उनसे जुड़े सामान्य प्रश्न।
🪔 शीतला सप्तमी का महत्व : Shitala Mata Ka Mahatv
Shitala Mata को चेचक, खसरा, फुंसी एवं अन्य प्रकार से रोगों से रक्षा करने वाली देवी के रूप में माना जाता है। इस दिन हिन्दू धर्म ठंडा भोजन (बासी भोजन) खाने की परंपरा होती है। ऐसा माना जाता है कि शीतला माता गर्म भोजन या आग से क्रोधित होती हैं। इसलिए शीतला सप्तमी के एक दिन पूर्व भोजन तैयार कर रखा जाता हैं और सप्तमी के दिन ठंडा भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता हैं।
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शीतला माता की कृपा से मिलते हैं ये लाभ:
✅ बच्चों को बीमारियों से सुरक्षा होती है |
✅ परिवार में स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है |
✅ सौभाग्य और सुख-शांति अपने घर एवं परिवार पर बनी रहती है |
✅ त्वचा संबंधी रोगों से राहत मिलती है |
शीतला सप्तमी की तिथि : shitala ashtmi kab hai
शीतला सप्तमी (Shitala Mata)चैत्र महीने (मार्च-अप्रैल) के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष (2025 में), शीतला सप्तमी 21 मार्च शुक्रवार के दिन मनाई जायेगी । यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में बड़े उत्साह एवं धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
शीतला सप्तमी पूजा विधि (Shitala Mata Pooja Vidhi Step by Step)
1️⃣ व्रत की तैयारी
- षष्ठी तिथि के दिन (एक दिन पहले) भोजन बना लेना चाहिए ।
- रोटी, पूड़ी, बेसन की सब्ज़ी, मीठा आदि पकवान बनकर तैयार कर लेना चाहिए ।
- सप्तमी तिथि के दिन उसी बने हुए भोजन का शीतला माता को प्रसाद के रूप में भोग लगाना चाहिए एवं उस दिन घर पर नया भोजन नहीं बनाना चाहिए ।
2️⃣ सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
- शीतला सप्तमी के दिन अपने घर पर बिना आग जलाए माता शीतला की पूजा करनी चाहिए।
- इस दिन माता की पूजा करने के लिए पूजा स्थल को साफ करके वहां मंडप बनाना चाहिए ।
3️⃣ शीतला माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- शीतला सप्तमी के दिन पूजा स्थान को साफ करके माता की स्थापना करनी चाहिए |
- माता को हल्दी, रोली, अक्षत, पुष्प, और बासी भोजन का भोग चढ़ाना चाहिए।
- शीतला माता को दही, बासी रोटी, गुड़, और मीठे चावल का भोग विशेष रूप से प्रिय इसलिए पूजा में माता को इस तरह का प्रसाद के रूप में भोग लगाना चाहिए।
4️⃣ कथा और आरती करें। shitala mata ki aarti : shitala mata ki katha
- शीतला सप्तमी के दिन शीतला माता व्रत रखना चाहिए एवं माता की कथा को सुनना और कथा का पाठ करना चाहिए।
- उस माता की आरती करके प्रार्थना करें कि माता घर-परिवार की रक्षा करें एवं आने वाली सम्पूर्ण बिमारियों का निवारण करे।
शीतला सप्तमी के दिन क्या करें और क्या न करें?
करें:
✔ सूर्योदय से पहले शीतला माता की पूजा करनी चाहिए ।
✔ माता को प्रसाद के रूप ठंडा भोजन ही अर्पित करना चाहिए ।
✔ इस दिन शीतला सप्तमी के दिन साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।
न करें:
❌ शीतला सप्तमी के दिन आग जलाना वर्जित माना जाता है।
❌ इस गर्म खाना नहीं खाना चाहिए या ग्गर्म खाना खाने से खाने से बचना चाहिए ।
❌ सप्तमी के दिन झूठ बोलने एवं क्रोध करने से बचना चाहिए ।
1. शीतला माता को क्यों पूजा जाता है?
शीतला माता को बीमारियों, विशेषकर चेचक और गर्मी से संबंधित रोगों से बचाव और उपचार के लिए पूजा की जाती है।
2. बासी भोजन क्यों चढ़ाया जाता है?
बासी भोजन चढ़ाने का अर्थ है कि देवी भोजन को खराब होने से बचाती हैं और हमें विनम्रता और संयम का पाठ सिखाती हैं।
3. शीतला अष्टमी पर क्या नहीं करना चाहिए?
इस दिन नए भोजन नहीं बनाना चाहिए। एवं घर में गर्म चीजें जैसे चूल्हा जलाना या गर्म पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
4. शीतला माता की पूजा कौन कर सकता है?
कोई भी व्यक्ति जो स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण चाहता है, शीतला माता की पूजा कर सकता है।
5. क्या पुरुष भी शीतला सप्तमी का व्रत कर सकते हैं?
हां, यह व्रत पुरुष और महिलाएं दोनों रख सकते हैं। लेकिन परंपरागत रूप से महिलाएं अधिक व्रत करती हैं।
6. शीतला माता का वाहन कौन सा है?
शीतला माता का वाहन गधा माना जाता है। उनके हाथ में झाड़ू और नीम की डाली होती है, जिससे वे रोगों का निवारण करती हैं।
निष्कर्ष
Shitala Mata का दिन हिन्दू धर्म में एक परंपरा ही नहीं, जबकि स्वास्थ्य और सफाई से जुड़ा एक जागरूकता त्यौहार भी है। इस दिन माता शीतला की पूजा करने से अपना घर परिवार स्वस्थ रहता है और अपने घर परिवार पर आने बीमारियों से रक्षा होती है।शीतला माता की पूजा करना न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, परन्तु स्वास्थ्य, स्वच्छता और आध्यात्मिकता का महत्व भी ये पूजा सिखाती है। शीतला सप्तमी के इस पावन पर्व पर माता की कृपा पाने के लिए पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए|
इसलिए इस दिन शीतला सप्तमी पर व्रत रखना चाहिए एवंर माता का आशीर्वाद पाना चाहिए।
अगर आपके मन में शीतला माता से जुड़े किसी भी प्रकार सेप्रश्न हैं, तो हमें नीचे कमेंट में लिखकर बताये । हम आपके सवालों के जवाब अवश्य देंगे | 🙏