कोटा का इतिहास । महाराव का शासन काल सम्पूर्ण इतिहास राजस्थान | History of Kota

कोटा का इतिहास । महाराव का शासन काल सम्पूर्ण इतिहास राजस्थान | History of Kota

प्रिय पाठकों आज हम जानने की राजस्थान राज्य के कोटा जिले का कोटा का इतिहास के बारे की कोटा पाले किसकी रियासत थी एवं यहाँ पर किस-किस राजाओं ने राज्य किया और कोटा रियासत अलग कैसे हो गई ये सम्पूर्ण जानकारी के बारे में आज हम विस्तार से अध्ययन करेंगे | यह भी पढे:- महाराणा प्रताप

कोटा का इतिहास । महाराव का शासन काल सम्पूर्ण इतिहास राजस्थान | History of Kota
कोटा का इतिहास । महाराव का शासन काल सम्पूर्ण इतिहास राजस्थान | History of Kota

कोटा का इतिहास | History of Kota

राजस्थान राज्य का कोटा जिला पहले बूंदी रियासत का एक हिस्सा था | कोटा में बूंदी के हाड़ा चौहान वंश  का शासन था | सन 1631 ईस्वी में रतन सिंह के पुत्र माधो सिंह को बूंदी से कोटा अलग राज्य बनाकर कोटा एक राजा बन गया | 

कोटा पहले कोटिया भील वंश के अधीन था | परन्तु बूंदी के चौहान वंश के संस्थापक समर सिंह एवं पुत्र जैत्र सिंह से कोटिया भील को मार कर कोटा को अधीन कर लिया था | समर सिंह से पुत्र जैत्र सिंह को कोटा का हाकिम बनाया | परन्तु कोटा बूंदी के अधीन था | कोटिया भील के कारण कोटा नाम पड़ा | 

कोटा का इतिहास | History of Kota

माधो सिंह ने शाहजहां  की और से कई युद्ध किये मुगलों को कई युद्ध में जीत दिलाई  जिससे माधो सिंह का ओहदा मुगलों के साथ बढ़ता गया | माधो सिंह की सन 1648 ईस्वी में मौत हो गई थी |

महाराव मुकुंद सिंह का शासन काल

महाराव  मानसिंह की मृत्यु के बाद पुत्र मुकुंद सिंह को कोटा का राजा बनाया गया | मुकुन्द सिंह ने कोटा साम्राज्य का विस्तार किया एवं उसमे 5 रियासते जोड़ी |

महाराव मुकुंद सिंह की एक बहुत सुंदर पत्नी पासवान अबली मीणी थी जो मुकुंदरा क्षेत्र की रहने वाली थी | मुकुन्द सिंह से वहा की पहाड़ी पर अवली मीनी का महल बनवया था | 

कोटा का इतिहास | History of Kota

मुकुन्द सिंह ने दर्रे की घाटी में एक दुर्ग बनवाया था उसे मुकुन्द सिंह का किला कहा जाता है |  मुकुन्द सिंह के कम शासन काल में मुगलों के विरुद्ध युद्ध करना पड़ा था | उन्होंने ओरंगजेब  के विरुद्ध युद्ध लड़ने के लिए शाही सेना के साथ मिलकर युद्ध किया | जिसके तहत 15 अप्रेल 1658 ईस्वी को मुकुन्द सिंह मौत हो गई थी | उसके उसके भाई और कन्ही राम भी मौत हो गई थी | एवं उसके एक भाई किशोर सिंह बहुत ज्यदा घायल हो गए थे | 

महाराव जगत सिंह का शासन काल

महाराव  मुकुंद सिंह की मृत्यु के बाद उसके पुत्र जगत सिंह को कोटा का राजा बनाया गया था | जब जगत सिंह कोटा के राजा बने तब उनकी उम्र 14 वर्ष की थी | जगत सिंह को सन 1658 ईस्वी में कोटा का राजा बनाया था | जगत सिंह के राजा बनाने के कुछ दिनों के बाद दिल्ली बुलाया गया था | सन 1683 में जगत सिंह की मौत हो गई | 

महाराव किशोर सिंह का शासन काल

महाराव किशोर सिंह को सन 1684 ईस्वी में कोटा का राजा बनाया गया था | एवं किशोर सिंह की मृत्यु सन 1696 ईस्वी में हो गई थी | उसके शासन काल में बघेरवाल जैन व्यापारी ने चाँद खेडी में भगवान आदिनाथ जैन मंदिर बनाया था | 

महाराव रामसिंह का शासन काल 

महाराव  किशोर सिंह की मृत्यु के बाद उसके पड़े बेटे विशन सिंह को कोटा का राजा बनाया गया | बल्कि औरंगजेब ने राम सिंह को कोटा का राजा बनाया |

राम सिंह युद्ध में अजमशाह की तरफ से युद्ध में लड़ते हुए मरे गए | राम सिंह से कोटा में राठवा तालाब बनवाया था एवं रामपुरा शहर बनवाया था | 

महाराव  भीम सिंह का शासन काल

महाराव राम सिंह की मृत्यु के बाद भीम सिंह को कोटा का राजा बनाया गया | उस समय बादशाह बहादुरशाह कोटा से नाराज थे | महाराव भीम सिंह ने सन 1713 ईस्वी में कोटा को बूंदी में मिलाया गया |

कोटा का इतिहास | History of Kota

भीम सिंह से खुश होकर बादशाह ने भीम सिंह को गागरोण का किला दिया गया | शाही सेना के साथ भीम सिंह की मृत्यु सन 1720 ईस्वी में हुई थी | 

महाराव दुर्जन शाल का शासन काल 

कोटा के राजा महाराव दुर्जन शाला  के शासनकाल के समय सन 1747  ईस्वी में कोटा एवं उदयपुर की सेना के साथ युद्ध हुआ था | इस युद्ध में जयपुर की जीत हो गई थी | वहा के राजा सवाई ईश्वरी सिंह थे | इसके बाद सन 1748 ईस्वी में कोटा एवं जयपुर के बीच में संधि हो गई थी | 

महाराव शत्रुशाल का शासन काल

महाराव शत्रुशाल ने सन 1760 ईस्वी में भटवाडा के युद्ध में जयपुर की रियासत को हराकर वहा पर जीत हासिल की थी | उस समय जयपुर रियासत के राजा सवाई माधो सिंह थे | कोटा की रियासत मराठो की शक्ति नीति का केंद्र बनी थी | 

महाराव गुमान सिंह का शासन काल

राजस्थान के कोटा राज्य के राजा महाराव गुमान सिंह ने नाराज होकर झाला जालम सिंह को राज्य से बाहर निकाल दिया था | किन्तु कुछ समय बाद झाला जालम सिंह को कोटा राज्य का फौजदार बनाया गया | झाला जालम सिंह ने कोटा रियासत में मराठो की हमेशा रक्षा की थी | 

महाराव उम्मेद सिंह का शासन काल

कोटा के महाराव गुमान सिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र उम्मेद सिंह को कोटा का राजा बनाया गया | उस समय उम्मेद की उम्र बाल्यावस्था थी उसे कम उम्र में ही राजा बनाया गया था |

कोटा का इतिहास | History of Kota

सन 26 दिसम्बर 1817 ईस्वी में कोटा ने मुगलों ( अंग्रेजो ) से संधि में दो सर्ते जुड़ाव दी थी | जिसमे महाराव उम्मेद सिंह एवं उसके उतराधिकारी को कोटा राज्य के राजा बनाये जायेंगे |  

महाराव किशोर सिंह द्वितीय का शासन काल 

महाराव उम्मेद सिंह की अचानक अचानक मौत हो गई थी तो उसके बाद उसके बेटे किशोर सिंह को कोटा का राजा बनाया गया था | किन्तु कोटा शासन दीवान झाला जालम सिंह के पास में था | सन 1827 ईस्वी में किशोर सिंह की मौत हो गई थी |  

महाराव रामसिंह द्वितीय  का शासन काल

महाराव रामसिंह को सन 1827 में कोटा का राजा बनाया गया | शासन के अधिकारों के लिए राम सिंह एवं झाला जालम सिंह के बीच हमेशा झगड़े होते रहते थे | मुग़ल शासक ने कोटा की 17 रियासते अगल कर झालावाड रियासत का गठन करवाया गया |

झालावाड रियासत का गठन सन 1833 ईस्वी में किया गया था | एवं महाराव राम सिंह के शासन काल पहला स्वतंत्रता संग्राम 1857 का युद्ध लड़ा गया था |

महाराव झाला जालिम सिंह का शासन काल

महाराव झाला जालिम सिंह को 1758 ईस्वी में कोटा का फौजदार नियुक्त किया गया था | सन 1817 ईस्वी में हुई अंग्रेजो के कोटा की संधि में झाला जालिम सिंह ने गुप्त यह संधि जुड़वा दी की कोटा के राजा यही बने रहेंगे | इसके बाद कोटा को विभाजित कर झालावाड रियासत बनाई गई |

झालावाड की स्थापना सन 1791 ईस्वी में की गई थी | और देश आजाद सन 1947 में हुआ था | एवं सन 1948 को कोटा को राजस्थान में जोड़ा गया था |

निष्कर्ष : –

कोटा का इतिहास | History of Kota  इस पोस्ट में कोटा के इतिहास के बारे में एवं यहां के राजाओं के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है कि कोटा का इतिहास में कोटा राज्य में कितनी रियासतें थी और कोटा रियासत कब अलग हुआ था तथा वहां के राजाओं के बारे बारे में सम्पूर्ण जानकारी इस लेख के माध्यम से दी गई है |

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